जाने माने समाज सेवी डॉ रमेश भार्गव जी से
“दिल्ली नरेश” भेंटवार्ता
शादी समारोह में होने वाले फालतू खर्च पर
डॉ रमेश भार्गव जी के विचार
आज कल जितनी शादियों होती है
उनमे आने वाले मेहमानों में से करीब 60%
मेहमान “दुल्हा- दुल्हन” को नहीं जानते !
इन्होंने कभी उनकी शक्ल तक नही देखी होगी ?
उनका नाम तक नही जानते होंगे… ??
60% लोग विवाह समारोहों मे जाते हैं
और खाना खा कर वापस आ जाते हैं…!
उनको ख्याल तक नही रहता और ना ही कभी देखने की कोशिश करते हैं कि… युगल कहाँ बैठा है!!
भारत में देखा देखी लगभग हर विवाह में हम 75% फालतू जनता को आमंत्रण देते हैं!
फालतू जनता वो है जिसे आपके विवाह मे कोई रुचि नही..
जो आपका केवल नाम जानती है…
जो केवल आपके घर की लोकेशन जानती है..
जो केवल आपकी पद- प्रतिष्ठा जानती है..
और जो केवल एक वक्त के स्वादिष्ट और विविधता पूर्ण व्यञ्जनों का स्वाद लेने आती है!
हमारे हिसाब से ये सब फालतू की बाते होती हैं!
केवल आपके रिश्तेदारों, कुछ बहुत घनिष्ठ मित्रों और रिशतेदारों के अलावा आपके विवाह मे किसी को रुचि नही होती !
ये ताम झाम, पंडाल झालर, सैकड़ों पकवान, आर्केस्ट्रा DJ, दहेज का मंहगा सामान एक संक्रामक बीमारी का काम करता है..
लोग आते हैं इसे देखते हैं और “मै भी ऐसा ही इंतजाम करूँगा, बल्कि इससे बेहतर”..
और लोग करते हैं… चाहे उनकी चमड़ी बिक जाए!
लोग 75% फालतू की जनता दिखावा करने में अपने जीवन भर की कमाई लुटा देते हैं.. लोन ले लेते हैं!
और उधर विवाह मे आमंत्रित फालतू जनता ,
गेस्ट हाउस के दरवाजे से अंदर सीधे भोजन तक पहुच कर, भोजन उदरस्थ करके, लिफाफा पकड़ा कर निकल लेती है!
आपके लाखों का ताम झाम उनकी आँखों में बस आधे घंटे के लिए पड़ता है,
पर आप उसकी किश्तें जीवन भर चुकाते हो!
आपको हमें और सरकार को इस अपव्यय और दिखावे को रोकना होगा!
हमारे निवेदन पर आप एक बार सोचिएगा जरूर!
📖✍️🎤 “दिल्ली नरेश”